Primary Memory in hindi |Types of Primary Memory in hindi | Go My Class
- Go My Class
- Oct 23, 2020
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Updated: Mar 8, 2022

प्राथमिक मेमोरी
प्राथमिक मेमोरी को मुख्य मेमोरी या आंतरिक मेमोरी भी कहा जाता है। यह अस्थिर मेमोरी है क्योंकि यह थोड़े समय के लिए डेटा स्टोर कर सकता है और कंप्यूटर बंद होने के दौरान सभी डेटा मिट जाता है। प्राथमिक मेमोरी केवल वही डेटा या निर्देशों को संग्रहीत करती है जिसमें कंप्यूटर काम कर रहा होता है। प्राथमिक मेमोरी की भंडारण क्षमता सीमित है लेकिन इसमें बहुत अधिक डाटा प्रोसेसिंग क्षमता होता है जिसके कारण एप्लिकेशन और प्रोग्राम आसानी से चलाए जा सकते हैं।
PRIMARY MEMORY दो प्रकार की होती है।
1. RAM 2. ROM
1. RAM :~ RAM का पूरा नाम Random Access Memory है। रैम को अस्थायी या Volatile मेमोरी भी कहा जाता है। रैम में डेटा स्टोर नहीं होता है, जब डेटा ROM या किसी अन्य मेमोरी से रैम में आता है, तभी हम इसका उपयोग करने में सक्षम होते हैं। अगर कंप्यूटर में कोई वीडियो, म्यूजिक, गेम या एप्लिकेशन चलाया जाता है, तो ये सभी डेटा पहले रैम में लोड होते हैं। उसके बाद हम सभी एप्लिकेशन का उपयोग करने में सक्षम होते हैं। रैम किसी भी अन्य मेमोरी से तेज है। जिससे प्रोसेसर तक डाटा जल्दी पहुंचता है। जिससे कंप्यूटर के किसी भी एप्लिकेशन को तेजी से चलाया जा सकता है।
RAM दो प्रकार की होती है: ~
1. SRAM (स्टैटिक रैंडम एक्सेस मेमोरी)
2. DRAM (डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी)
1. SRAM :~ SRAM का पूरा नाम Static random access memory होता है। SRAM फ्लिपफ्लॉप (flip flop) से बना है इसलिए यह कम रिफ्रेश होता है। जब तक कंप्यूटर चल रहा होता है, तब तक यह डेटा संग्रहीत करता है, लेकिन कंप्यूटर के बंद होते हिं सभी डाटा अपने आप डिलीट हो जाता है, लेकिन यह डाटा को अधिक समय तक संग्रह कर सकता है। SRAM का उपयोग कंप्यूटर सिस्टम में cache मेमोरी के रूप में किया जाता है। जो बहुत फ़ास्ट और छोटी होती है. SRAM को भी volatile मेमोरी कहा जाता है।
2. DRAM :~ DRAM का पूरा नाम डायनेमिक रैंडम एक्सेस मेमोरी है। DRAM एक सेकंड में हजारों बार रिफ्रेश होता है इसलिए इसकी गति धीमी होती है। DRAM में डाटा को मेमोरी सेल में स्टोर किया जाता है। प्रत्येक मेमोरी सेल में एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर होता है। जिसमें डाटा स्टोर होता है लेकिन मेमोरी सेल कंट्रोलर 4 मिली सेकंड के बाद मेमोरी को रिफ्रेश करता रहता है यानि डाटा रीराइट होता रहता है। नया डेटा DRAM में अपने आप स्टोर हो जाता है। DRAM का उपयोग अधिकांश व्यक्तिगत कंप्यूटरों में प्राथमिक मेमोरी के रूप में किया जाता है।
ROM :~ ROM का पूरा नाम Read only memory होता है। ROM एक प्राथमिक स्टोरेज डिवाइस है जिसमें उपयोगकर्ता अपने सभी डेटा (ऑडियो, वीडियो, फोटो, दस्तावेज) को सेव करता है। यह एक non-volatile मेमोरी होती है क्योंकि इसमें संगृहीत डेटा कंप्यूटर के बंद होने पर भी डिलीट या मिटता नहीं है। ROM एक निश्चित(fixed) प्रोग्राम मेमोरी होती है जिसमें कुछ भी नहीं बदला जा सकता है। इसमें कंप्यूटर की मूल कार्यक्षमता(basic functionality) के निर्देशों को मैन्युफैक्चर के समय डेवलपर या प्रोग्रामर द्वारा लिखा(write) या संग्रहीत(store) किया जाता है। जिसे हटाया या संशोधित नहीं किया जा सकता है। केवल पढ़ा(read) जा सकता है। जब कंप्यूटर सिस्टम चालू होता है तब ROM बूटिंग प्रक्रिया में मदद करता है।
ROM तीन प्रकार की होती है: ~
1. PROM
2. EPROM
3. EEPROM
1. PROM :~ PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory है। PROM में केवल एक हीं बार डेटा लिखा जा सकता है। उसके बाद PROM को अपडेट या मिटाया नहीं जा सकता है। PROM बर्नर डिवाइस का इस्तेमाल PROM में डेटा Write/लिखने के लिए किया जाता है। PROM में डेटा लिखने की प्रक्रिया को PROM बर्निंग कहा जाता है।
2. EPROM :~ EPROM का पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है। EPROM में डाटा को मिटाने के लिए अल्ट्रा वॉइलेट किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। प्रोग्रामिंग करते समय EPROM में इलेक्ट्रिक चार्ज द्वारा डाटा स्टोर किया जाता है। जो करीब दस वर्षो से अधिक समय तक संग्रहीत करके रखा जा सकता है। क्यूंकि इलेक्ट्रिक चार्ज को बहार निकलने का कोई रास्ता नहीं होता है। इसलिए EPROM में डाटा सुरक्षित स्टोर रहता है।
3. EEPROM :~ EEPROM का पूरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memory है। इसमें इलेक्ट्रिक चार्ज द्वारा डाटा को मिटाया जाता है। EEPROM को लगभग 10 हजार बार मिटाया जा सकता है। EEPROM को मिटाने के लिए किसी डेवलपर या प्रोग्रामर के पास नहीं जाना पड़ता है क्योंकि किसी विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटा को कंप्यूटर में हिं मिटाया जा सकता है और डेटा को बार-बार रिप्रोग्राम किया जा सकता है। EEPROM में, डेटा को दस से अधिक वर्षों तक संग्रहीत करके रखा जा सकता है।
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