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Parker solar probe | पार्कर सोलर प्रोब-सूर्य को 'छूने' वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान-Go my class

NASA Parker Solar Probe । नासा का Parker Solar Probe Spacecraft ने रचा इतिहास, सूर्य को छूने वाला बना पहला अंतरिक्ष यान ..

NASA Parker Solar Probe । नासा का Parker Solar Probe Spacecraft ने रचा इतिहास, सूर्य को छूने वाला बना पहला अंतरिक्ष यान ..
Parker solar probe- Go my class

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) के अंतरिक्ष यान (Parker Solar Probe) ने सूर्य को छूकर इतिहास रचा है। ये एक ऐसी उपलब्धि है जिसे असंभव माना जाता है। इस उपलब्धि को सोलर विज्ञान और अंतरिक्ष की दुनिया में नासा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस अंतरिक्ष यान का नाम "पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe)" है। हमारे सौर मंडल (Solar System) का केन्द्र, सूरज तक अबतक हम नहीं पहुँच सके थे लेकिन नासा के "पार्कर सोलर प्रोब" ने ये कर दिखाया। इतिहास में पहली बार किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को छुआ है, जिसका वायु-मंडल करीब 20 लाख डिग्री फारेनहाइट तक गर्म रहता है। नासा के स्पेसक्राफ्ट ने सूरज के उपरी वातावरण, जिसे कोरोना (Corona) भी कहते है, उसमें विचरण किया।


पार्कर सोलर प्रोब ने 28 अप्रैल, 2021 को सूर्य के उपरी वायु-मंडल कोरोना में 3 बार सफलतापूर्वक प्रवेश किया और 5 घंटों तक कोरोना में रहा। साथ हीं उसने सूर्य पर स्थित कणों और चुम्बकीय क्षेत्रों का नमूना लिया। ये सफलता हॉवर्ड एंड स्मिथसोनियन (CFA) में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्यों सहित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के बड़े स्तर पर किए गए सहयोग से संभव हो सकी है।

आपको बता दें कि सूर्य का उपरी वातावरण यानि कोरोना (Corona), सूर्य की सतह से बहुत ज्यादा गर्म है। कोरोना का तापमान 1 मिलियन डिग्री केलविन (999726.85 डिग्री सेल्सियस) तक जा सकता है। वहीं सूरज की सतह का तापमान 6000 केलविन (5726.85 डिग्री सेल्सियस) के आस-पास रहता है। पार्कर सोलर प्रोब स्पेसक्राफ्ट ने 2019 में सोलर विंड (switchbacks) के मैग्नेटिक जिग-जैग स्ट्रक्चर का पता लगाया था। आने वाले 7 सालों में ये अंतरिक्ष यान सूरज के करीब जाने की 21 कोशिशें करेगा।


अमेरिका के अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह से आ रही भयंकर आवाज़ और रेडियो सिग्नल को रिकॉर्ड किया है। बताया जा रह है कि यह आवाज शुक्र के उपरी वातावरण से आ रही थी। नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को सूरज का अध्ययन करने के लिए 2018 में लॉन्च किया था। सूरज की परिक्रमा करते हुए पार्कर सोलर प्रोब जब शुक्र के उपर से गुजरा तो उसने इस भयंकर आवाज को रिकॉर्ड किया। नासा ने बताया है कि शुक्र से आ रहे प्राकृतिक रेडियो सिग्नल से मिली आवाज़ की जाँच से हमें धरती की जुड़वा बहन कहे जाने वाले शुक्र ग्रह के वातावरण के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकती है।

खास तरीके से बनाया गया डिवाइस


गर्मी से बचाने के लिए प्रोब के उपकरण का निर्माण उन सामग्रियों से किया गया था, जिसमें टंगस्टन, नियोबियम, मॉलिबिडनम,सैफायर और नीलम जैसे हाई मेल्टिंग पॉइंट वाले मटेरियल (सामग्री) शामिल है। पृथ्वी के विपरीत, सूर्य की कोई ठोस सतह नहीं है लेकिन इसमें अत्यधिक गर्म वातावरण होता है जो गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय बलों द्वारा सूर्य से बंधी सौर सामग्री से बना है। वही कोरोना सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत होती है, जहाँ मजबूत चुंबकीय क्षेत्र प्लाज्मा को बांधते हैं और सौर हवाओं को बाहर निकलने से रोकते हैं।


चर्चा में क्यों है पार्कर सोलर प्रोब?


हाल हीं में नासा के अंतरिक्ष पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह से आ रही भयंकर आवाज़ और रेडियो सिग्नल को रिकॉर्ड किया है। नासा के स्पेसक्राफ्ट Parker Solar Probe ने शुक्र ग्रह की आवाज़ को 11 जुलाई, 2020 को रिकॉर्ड किया था। उस वक्त पार्कर सोलर प्रोब और शुक्र के बीच की दुरी लगभग 832 किलोमीटर थी।

शुक्र ग्रह (Venus Planet)


  • शुक्र ग्रह सौरमंडल का सबसे चमकीला ग्रह है। यह बुद्ध ग्रह के बाद सूर्य से दूसरा सबसे निकटतम ग्रह है।

  • शुक्र ग्रह को पृथ्वी की जुड़वा बहन कहा जाता है क्योंकि इसका द्रव्यमान और आकार लगभग पृथ्वी के आकार के बराबर है।

  • शुक्र ग्रह को भोर का तारा (Morning star) तथा सांझ का तारा (Evening Star) के नाम से भी जाना जाता है।

  • शुक्र ग्रह (Venus Planet) पृथ्वी का सबसे निकटतम और सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।

  • यह अपनी धुरी पर पूर्व से पच्क्षिम की और घूमता है।


विज्ञान के लिए इस उपलब्धि के मायने


पृथ्वी को रोशनी और गर्मी देने वाले इस तारे के बारे में अब तक ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है। खासकर सूर्य की बनावट को लेकर अब तक संशय की स्थिति रही है। ऐसे में पार्कर सोलर प्रोब का सूर्य के वायुमंडल में पहुंचना सूर्य से जुड़े राज को खोलने के लिए अहम है। उदाहरण के तौर पर वैज्ञानिक अब तक इस का पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर सूर्य का बाहरी वायुमंडल सूर्य से ज्यादा गर्म क्यों है। एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स का अंदाजा है कि सूर्य की गर्मी इसके आसपास मैग्नेटिक फील्ड्स (चुंबकीय क्षेत्र) से पैदा होती है, जो सूर्य की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देती है और इसके आसपास के वातावरण को लाखों डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर देती है। लेकिन यह बात अभी तक साफ नहीं है कि सूर्य का वायुमंडल आखिर इस ऊर्जा को सोखता कैसे है?

इसके अलावा यह अंतरिक्ष यान सूर्य से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन और तेज रफ़्तार वाली सौर हवाओं के बारे में भी ज्यादा जानकारी जुटाने में मदद करेगा। इन दोनों ही प्रत्यक्ष घटनाओं का पृथ्वी पर सीधा असर होता है और कई बार इनकी वजह से हीं पृथ्वी पर पावर ग्रिड्स और रेडियो कम्युनिकेशन में दिक्कत पैदा होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के पार पहुचने और आने वाले समय में मिशन के जरिए उन सभी रहस्यों के बारे में भी जानकारी मिलेगी,जिनके बारे में करोड़ों किलोमीटर दूर बैठकर डेटा हासिल करना नामुमकिन हैं।



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